Thursday, August 31, 2017

यादों के झरोखों से कई बातें दिखाई दे रही है। बहुत सोचने की कोशिश की पर ऐसा कोई पल याद ही नहीं आ रहा जब उसने मुझसे किसी चीज़ की जिद की हो। मुस्कान जब 9 महीने की थी, हम Huldibari Tea Garden (West Bengal) shift हो गए थे। छोटी सी जगह का एक छोटा सा happening store था Mittal Store. अक्सर हम वहाँ जाते और जो नया खिलौना या नयी चीज आती, मैं उसे दिखाती और उसके लिए खरीदती पर उसे तो जैसे कोई मतलब ही नहीं था। वो तो एक chocolate या icecream की भी demand नही करती। जो मैं उसके लिए लाती उन खिलौनों से वो घंटों खेलती और अगर घर पर कोई आता तो अपना सारा पिटारा बाहर लाकर खूब खेलती। सचमुच अलग थी वो, जहाँ इस उम्र में बच्चे हर चीज़ की जिद करते हैं वो हमेशा शांत रही। 5-6 साल की हुई तो हमने देखा कि वो चीजों के price tag देखती और फिर खरीदती। हम शायद sillliguri के Vishal Mega Martमें shopping कर रहे थे और मेरी पसंद की एक dress उसने इसलिए नहीं ली क्योंकि वो expensive थी। मेरी नन्ही सी मुस्कान बचपन में ही इतनी समझदार थी और चीजों के tag देखकर खरीदना उसकी आदत बन गई। थोड़ी और बड़ी हुई तो उसने अपने मम्मी-पापा को हमेशा संघर्ष करते देखा पर कभी परेशान नहीं किया। मुझे उसके लिए shopping करना बेहद पसंद था। जब भी मैं उसके लिए कुछ लेती, उसका जवाब यही होता "जो आपको पसंद हो ले लो" April 2016, हम Westside में shopping कर रहे थे। मैंने चार Top उसके लिए किए पर उसने दो ही लिए और कहा"बस दो बहुत है"। 19 June 2016,मैंने कहा,girls dress के साथ accessories पहनती हैं, तू भी कुछ खरीद ले। उसने कहा "मुझे ये सब नहीं पसंद, मैं ये खरीद के क्या करुँगी"। अपनी चीजों में वो हमेशा खुश और संतुष्ट रहती। किसी भी माता पिता के लिए ये गौरव की बात है कि उनका बच्चा इतना समझदार हो। न जाने उसने अपनी कितनी इच्छाएं दबाई होंगी पर अपने मम्मी पापा को कभी ये एहसास नही होने दिया। अभिमान थी तू मेरा और हमेशा रहेगी। बस ईश्वर से ये विनती है कि तुझे अब वो सारी खुशियां मिले जो ये मां न दे पाई।


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