Wednesday, September 7, 2016

Poem written by Neelu Chachi.....!

सहज,सादगी और सरलता की
जो प्रतिमूरत थी
माँ बाबा के आँगन की खुशियों
की मुस्कान थी ।
कहाँ चली गयी सूना करके
उस आँगन की फुलवारी को
सुगंध खो गयी उस आँगन की
ओ मेरी बिटिया रानी।
माँ का कलेजा फट उठा
बाबा का हृदय काँप उठा
भाई सिसक सिसक कर रोया
तेरे जाने के गम से।
नाजों से तू पली बढ़ी
जिस प्यार से तुझको पाला था
कहाँ छोड़ चली उस प्यार को
जीवन को सूना कर पगली।
तेरे चेहरे की वो मुस्कान
सभी को याद आती है
तेरे चेहरे की शांति सबको
सहज बनाती है।
गुणों की तू मल्लिका थी
विद्या तेरा गहना था
चुप्पी साधे खड़ी हुई भी
उपस्थिति अपनी दशाती थी।
जन्म दिया जिस माँ ने उसका
बच्चा कभी जुदा न हो
देख वेदना माँ के दिल की
ईश्वर भी रोया होगा।
अब तो ईश्वर से यह प्राथॆना
ऐसा गम न देना किसी को
तू ही सम्बल देना प्रभुवर
मुस्कान लौटाना उसकी प्रभुवर।
जहाँ रहे खुश रहे वो आत्मा
खुशियों का अंबार लगाना
सहज,शांति और सरलता
उसका रहे सदा गहना।

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